by Bharat Kumar
Oct 21, 2025
26 अक्टूबर से 29 अक्टूबर 2025 तक चार दिनों तक चलने वाला यह पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को संपन्न होता है।
यह त्योहार सूर्य देव को धन्यवाद देने और परिवार की समृद्धि की कामना का प्रतीक है। छठी मइया को सूर्य देव की बहन माना जाता है।
व्रती शुद्ध स्नान करते हैं और सात्विक भोजन ग्रहण करते हैंछठ पूजा का पहला दिन ‘नहाय-खाय’ कहलाता है।।
दूसरे दिन व्रती पूरे दिन निर्जला व्रत रखते हैं और शाम को प्रसाद बनाते हैं। खरना का प्रसाद — गुड़-की-खीर और रोटी — परिवार और पड़ोसियों में बाँटा जाता है।
तीसरे दिन व्रती नदी या तालाब के किनारे सूर्यास्त के समय अर्घ्य देते हैं। महिलाएं सूप में ठेकुआ, फल, नारियल और दीप जलाकर सूर्य देव को अर्पित करती हैं।
आखिरी दिन व्रती सुबह-सुबह उदय होते सूर्य को जल अर्पित करते हैं। यह पूजा परिवार की सुख-समृद्धि और संतान के कल्याण के लिए की जाती है।
घरों, घाटों और सड़कों पर साफ-सफाई होती है। लोग दीपों, फूलों और रंगोलियों से पूजा स्थल सजाते हैं।
बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और मुंबई में यह पर्व विशेष रूप से मनाया जाता है। विदेशों में बसे भारतीय समुदाय भी इसे उतनी ही श्रद्धा से मनाते हैं।
छठ पूजा हमें सिखाती है कि सच्ची भक्ति आत्म-संयम और पवित्रता में निहित है। सूर्य देव और छठी मइया का आशीर्वाद सबको मिले।