नवरात्रि हिन्दू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जो माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा के लिए मनाया जाता है। यह पर्व शक्ति, भक्ति और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है।
प्रथम नवरात्रि का महत्व
– प्रथम नवरात्रि, नवरात्रि का पहला दिन होता है। – इसे प्रथम दिन या प्रतिपदा कहते हैं। – इस दिन माँ शैलपुत्री का व्रत और पूजन किया जाता है। – यह दिन सकारात्मक शुरुआत और शक्ति का प्रतीक माना जाता है।
– प्रथम नवरात्रि पर माँ दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा होती है। – शैलपुत्री का अर्थ है – “पहाड़ की पुत्री”। – माँ शैलपुत्री को सद्गुण, शक्ति और शांति की देवी माना जाता है। – उनके हाथ में त्रिशूल और कमल होता है और वह सफेद वेशभूषा में सवारी करती हैं।
– दिन की शुरुआत सूर्योदय से पहले स्नान और शुद्धिकरण करके करें। – माँ शैलपुत्री की मालाओं से विधिपूर्वक पूजा करें। – सफेद रंग के कपड़े पहनें और घर को साफ-सुथरा रखें। – व्रत के दौरान सात्विक भोजन और फलाहार किया जाता है।
माँ शैलपुत्री का मंत्र: “ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः”
– पहले दिन व्रत रखने से सभी नकारात्मक शक्तियों का नाश और सफलता एवं स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। – नवरात्रि के प्रथम दिन से ही शांति, भक्ति और संयम का वातावरण बनता है।
– सुबह सूर्योदय के समय पूजा करना शुभ माना जाता है। – दिनभर ध्यान, भजन और कीर्तन का अभ्यास करें।
– प्रथम नवरात्रि का शुभ रंग – पीला या नीला होता है। – यह रंग सकारात्मक ऊर्जा, बुद्धि और उत्साह का प्रतीक है।
– माँ शैलपुत्री की मूर्ति या चित्र – सफेद फूल – चावल, हल्दी, कुमकुम – दीपक और दाल-फलाहार
– प्रथम नवरात्रि हमें सकारात्मक शुरुआत, अनुशासन और शक्ति का महत्व सिखाती है। – यह पर्व हमें अच्छाई पर विश्वास और बुराई पर विजय का संदेश देता है।